Thursday, November 19, 2009

feel if you can !!!

Me bhi tanha hoon yahan ;
Tu bhi tanha hai kahin;
Me bhi kuch Kehta nahi;
Tu bhi chup si hai khadi;

To fir kyun ye khamoshiyan, kyun sason me sailab hai;
Sajde me tha pehle kabhi par dil ki ab aagaz hai;
Me tera kab se ho chuka; kya chup rehna tera andaz hai


---"मनीष"

Tuesday, November 3, 2009

फ़िर एक रिश्ता तोड़ आया हूँ मैं

आज फ़िर सब कुछ छोड़ आया हूँ मैं ,
रंगों में नफरत घोल आया हूँ मैं ,
बहते हैं अश्क पर क्या करूँ,
फ़िर एक रिश्ता तोड़ आया हूँ मैं।

खता किसकी थी, यह तो पता नहीं,
पर उस पते पर खता अपनी छोड़ आया हूँ मैं ,
रोकती थी निगाह उनकी हमें भी,
बंद लब भी पुकारते थे,
समय के फेर में फ़िर गया सब कुछ,
खुशियों का गला घोंट आया हूँ मैं,
बहते हैं अश्क पर क्या करूँ,
फ़िर एक रिश्ता तोड़ आया हूँ मैं

जानता हूँ न मिलेगा दोस्त तुम -सा
और न ही हम- सी तुम्हे दोस्ती मिलेगी,
फ़िर भी सब कुछ मिटा दिया मैंने
ज्यूँ सफ़ेद कागज पर रंग उडेल आया हूँ मैं,
छोड़ दिया साथ मैंने अपनों का,
उनसे भी मुंह मोड़ आया हूँ मैं,
बहते हैं अश्क पर क्या करूँ,
फ़िर एक रिश्ता तोड़ आया हूँ मैं

चाहता हूँ जोड़ना सब कुछ,
पर मुझसे हर चीज़ टूट जाती है,
कभी-कभी किस्मत भी अपनी यारों हमसे रूठ जाती है,
चाहता हूँ सब को संजों के रखना,
पर क्यूँ हर मोती मुझसे छिन जाता है,
तोड़ दी ख़ुद आज माला मैंने,
फ़िर हर मोती बिखरा आया हूँ मैं,
बहते हैं अश्क पर क्या करूँ,
फ़िर एक रिश्ता तोड़ आया हूँ मैं